Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -19-Jun-2022मन की मनमानी

मनमानी करते रहे ,नहीं मिला कोई ठोर।
मन तो अति बावला रोज मचाए शोर।
घुम वह तो इधर उधर दौड़ता है बहुत तेज,
कभी वृंदावन में घूमे ,कभी जाइए किसी माँल।
अभी खाना चाहे चाट पापड़ी, कभी मूंग दाल रे।
मन भी अजीब कमाल है रोज में मचाय बवाल ये।
मन नहीं है संयमित मेरा कैसे इसे पढ़ाऊंँ रे,
विषय वासना में फंसाता, मै मेरी बहुत सिखाता।
कभी स्वार्थी यह हो जाता ,कभी उदार बड़ा बन जाता।
कभी परोपकार है करता, कभी एक पैसे पर मरता।
अपनी तारीफ बहुत है भाती, दूजे कि यह कहांँ सुनता।
गति इसकी है बहुत तेज, किसी के थामे नहीं थमता।
जिसने इसको कर लिया वश में ,ईश्वर है बस उसके संग में।
भज ले तू मन राम नाम ,कर ले कुछ इस जीवन में काम।
मत फंस तू मोह माया में, अंत समय न इसका काम।।
                                 रचनाकार ✍️
                                 मधु अरोरा
                                 19.6.2022

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 11:39 AM

बहुत खूबसूरत

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Pallavi

21-Jun-2022 05:22 PM

Nice 👍

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Punam verma

20-Jun-2022 11:25 AM

Nice

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